आज 13 अगस्त वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे

अंगदान वह प्रक्रिया है जिसमे किसी शख्स (मृत अथवा जीवित) से स्वास्थ अंगो और टिश्यू लेकर ज़रूरतमंद लोगों को ट्रांसप्लांट किया जाता है ,जिससे उन्हें नई ज़िंदगी मिल जाती है।अंग या उत्तकों की प्रत्यारोपण की इस प्रक्रिया को हार्वेस्टिंग कहते हैं।





अंगदान क्यों जरूरी- आंखों को छोड़कर बाकी अंगो के  मामलों में यह तभी मुमकिन है जब शख़्स की दिल की धड़कन चल रही हो भले ही ब्रेन काम करना बंद कर दी हो।

अगर हॉस्पिटल में ब्रेन डेड हो चुके लोग की अंगदान करते हो तो देश की लगभग ज़रूरत पूरी की जा सकती है।ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एक्ट(THOA)1994,के अनुसार ब्रेन डेड दाताओं से प्रत्यारोपण के लिए अंग ले  सकते हैं,ऐसे लोग प्रत्यारोपण से  आठ लोगों की जान बचा सकते हैं,ये ऑर्गन और टिश्यू
दोनों दान कर सकते सकते हैं,जैसे लिवर ,किडनी, हृदय,रक्त वाहिनी, हृदय के वाल्व, स्नायु बंध,हड्डियां, त्वचा,आंत और कॉर्निया,कार्टिलेज ।एक मृत व्यक्ति की कॉर्निया दो लोगों ज़िंदगी इजाल कर सकती है।














            आंकड़े क्या कहते हैं
1.)1.8 लाख लोग हर साल हमारे देश भारत मे किडनी फेल्योर से जूझते हैं,जबकि 6 हज़ार लोग ही किडनी प्रत्यारोपण करा पाते हैं।

2.)2 लाख मरीजों की मौत हर साल लिवर कैंसर से हो जाती है, अगर लिवर ट्रांसप्लांट की व्यवस्था हो तो 10 -15 प्रतिशत केस में मरीजों की जान बचाई जा सकती है। 


3.) हर साल 25-30हजार लोगों को लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ती है ,लेकिन 1500 लोगों की ही ट्रांसप्लांट हो  पाती है।


4.) 50,000 लोगों को हर साल हृदय ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ती है जबकि 10-15 ट्रांसप्लांट ही हो पाते है,कई लोग इंतेजार में मार जाते हैं।


5.)हर साल 1 लाख कॉर्निया ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ती है ,मगर 25,000 ही पूरे हो पाते हैं।
(स्रोत-स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार)






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Milan Tomic

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